*लाल रंग तिस को लगा जिसके वडभागा* ।।
(प्रभु नाम के रंग में ओतप्रोत हुई संगत)
होली के पावन पर्व पर हर साल होने वाले अमृतमई कीर्तन दरबार की श्रृंखला में इस साल भी ऐतिहासिक गुरुद्वारा हाथी घाट पर अमृतमई कीर्तन दरबार का आयोजन किया गया श्री गुरु सिंह सभा माईथान के तत्वाधान में आयोजित किए गए इस कीर्तन दरबार में संगतों ने नाम रस का अमृत पिया व भक्ति रस में ओतप्रोत होकर अपने स्वास गुरु को अर्पण किये। पावन वाणी रहरास के पाठ के बाद सुखमनी सेवा सभा के प्यारे वीर महेंद्र पाल सिंह जी ने अपनी मधुर रसना द्वारा अमृतमई कीर्तन की शुरुआत पावन शब्द “होली कीनी संत सेव” से की।
उसके बाद उन्होंने दूसरा शब्द “राम रंग कदे उतर न जाए” का गायन करके की और बताया कि संसार का रंग तो पल में चढ़ता है पल में उतर जाता है लेकिन निरंकार का रंग एक बार चढ़ जाए वह जन्मो जन्मो तक नहीं उतरता बाहर का रंग तन खराब करता है और नाम का रंग तन मन को शुद्ध कर देता है। उसके बाद उन्होंने “काम क्रोध लोभ झूठ निंदा इन ते आप छडावो” शब्द का गायन किया और कहा की पांच विकारों का त्याग करना है और पांच गुणो को धारण करना है जिससे यह जीवन का मार्ग सफल और सच्चा बन जाता है जयकारों की गूंज के बीच सारी संगत नाम रस में झूमती रही। कार्यक्रम की समाप्ति पर गुरु महाराज के अटूट लंगर का वितरण हुआ जिसे समूह संगत में बड़े प्रेम व श्रद्धा भाव से ग्रहण किया खचाखच भरे हुए हाल में अपार जनसमूह का आना इस बात का परिचायक था की संगत का वाणी के प्रति कितना प्रेम व प्यार श्रद्धा है इस आयोजन में
भाई कुलविंदर सिंह, मुख सेवादार कवलजीत सिंह, गुरमीत सिंह सेठी रिंकू गुलाटी, हरजिंदर सिंह ,गुरमुख वयानी, परमात्मा सिंह,बंटी चावला,जसबीर सिंह जस्सी,परमजीत सिंह मक्कर,कमल भोजवानी,पाली सिंह,बॉबी बेदी ,दलजीत सिंह दुग्गल,बबलू वयानी,नरेश धीरमलानी,योगेश छठवानी,त्रिलोचन सिंह,सुरजीत छाबड़ा,अशोक अरोड़ा, संतोख सिंह निजर,मोहित कत्याल,रछपाल सिंह,आदि गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति रही। कार्यक्रम के समापन पर सरदार कवलजीत सिंह द्वारा सभी संगत का आभार प्रकट किया गया


