Tv92News:हिंदवी स्वराज की गर्जना से गूंजा आगरा, ‘जाणता राजा’ महा नाट्य मंचन ने दिखाई शिवस्वराज्य की भव्यता Tv92News

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हिंदवी स्वराज की गर्जना से गूंजा आगरा, ‘जाणता राजा’ महा नाट्य मंचन ने दिखाई शिवस्वराज्य की भव्यता

दिव्य प्रेम सेवा मिशन के सेवा प्रकल्प को समर्पित है महा नाट्य जाणता राजा
आगरा के कलाकारों सहित 400 कलाकार कर रहे हैं महा नाट्य में अभिनय
नाट्य भूमि में हाथी, घोड़े और ऊंट की दौड़ जीवंत कर रही रण भूमि का दृश्य

आगरा। कलाकृति कन्वेंशन सेंटर परिसर में दिव्य प्रेम सेवा मिशन के संस्थापक डॉ. आशीष गौतम (भैया जी) के मार्गदर्शन में चल रहे सेवा प्रकल्प ‘जाणता राजा’ महा नाट्य मंचन ने मंगलवार को अपने भव्य स्वरूप, प्रभावशाली प्रस्तुति और राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत दृश्यों से दर्शकों को मराठा गौरव के स्वर्ण युग में पहुँचा दिया। ‘हिंदवी स्वराज’ की संकल्पना पर आधारित यह नाट्य प्रस्तुति केवल इतिहास का पुनर्स्मरण नहीं, बल्कि मातृभूमि के प्रति समर्पण और सेवा का प्रेरणादायक संदेश बन गई।
आगरा के 100 कलाकारों सहित 400 कलाकारों की सहभागिता, विशाल मंच, हाथी, को और ऊंट के माध्यम से जीवंत युद्ध दृश्य, पारंपरिक मराठी संगीत, दरिया भवानी की आराधना और शिवाजी महाराज की उद्घोषणा इन सबने परिसर को भावविभोर कर दिया। दर्शकों की जयघोष से बार-बार वातावरण “जय भवानी, जय शिवाजी” की ध्वनियों से गूंज उठा।

साईबाई भोसले का पात्र — समर्पण और शक्ति का संगम
नाटक में शिवाजी महाराज की पत्नी साईबाई भोसले का पात्र अभिनेत्री मानसी अत्यंत सौम्यता और गरिमा के साथ निभा रही हैं। उनके अभिनय में मर्यादा, संवेदना और आंतरिक शक्ति का अद्भुत संतुलन दिखाई दे रहा है।
साईबाई का पात्र न केवल एक रानी के रूप में, बल्कि एक सशक्त भारतीय नारी के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो स्वराज्य के स्वप्न में अपने जीवन का हर क्षण अर्पित करती है। मानसी के भावपूर्ण संवादों और संयत अभिनय ने दर्शकों के हृदय में साईबाई की करुणा और दृढ़ता दोनों को गहराई से महसूस करा रही है।

सेवा, संस्कृति और राष्ट्रभाव का समन्वय
दिव्य प्रेम सेवा मिशन द्वारा प्रस्तुत यह नाट्य मंचन केवल एक सांस्कृतिक आयोजन नहीं, बल्कि सेवा और संगठन की भावना से ओतप्रोत आध्यात्मिक यात्रा है।
डॉ. आशीष गौतम (भैया जी) के नेतृत्व में मिशन निरंतर समाज में संस्कार, स्वाभिमान और राष्ट्रभक्ति के मूल्यों को जाग्रत करने का कार्य कर रहा है। ‘जाड़ता राजा’ इसी प्रेरणा का जीवंत उदाहरण है, जो दर्शकों को बताता है कि भारत की शक्ति उसके संस्कारों और सेवा में निहित है।

भव्य मंच और ऐतिहासिक पुनर्सृजन
सैकड़ों फीट विस्तृत मंच, प्रकाश एवं ध्वनि की अद्भुत तकनीक, तोपों की गर्जना, किलों का वैभव और मराठी लोकनृत्य — इन सबने इतिहास को सजीव कर दिया। जब शिवाजी महाराज ने हिंदवी स्वराज की घोषणा की, तो पूरा परिसर श्रद्धा और गर्व से भर उठा।
दर्शकों ने नाटक के प्रत्येक दृश्य पर उत्साहपूर्वक तालियाँ बजाईं और अनेक क्षणों पर भावविभोर होकर खड़े हो गए।

नाटक का संदेश, आज के भारत के लिए प्रेरणा
‘जाणता राजा’ केवल एक नाट्य मंचन नहीं, बल्कि यह स्मरण कराता है कि राष्ट्र की असली शक्ति सेवा, नीति और निष्ठा में निहित है। शिवाजी महाराज का हिंदवी स्वराज आज के भारत के लिए आत्मनिर्भरता, नैतिकता और लोककल्याण का प्रतीक है।
यह प्रस्तुति युवा पीढ़ी को यह सिखाती है कि सच्चा देशभक्त वही है जो अपने कर्म, चरित्र और सेवा से समाज को ऊँचा उठाए।

डॉ. अजीत राव आप्टे : 45 वर्षों की समर्पित साधना
महानाट्य ‘जाड़ता राजा’ के महासचिव डॉ. अजीत राव आप्टे वर्ष 1980 से इस नाट्य महायज्ञ से जुड़े हुए हैं। लगभग 45 वर्षों से वे इस नाटक को समर्पित भाव से निभा रहे हैं। उन्होंने बताया कि युवावस्था में जब वे बाबासाहेब पुरंदरे (लेखक) के संपर्क में आए, तब ‘जाड़ता राजा’ के मंचन की प्रारंभिक तैयारियाँ चल रही थीं।
डॉ. आप्टे ने बताया कि इस नाटक के सभी संवाद सन् 1980 में रिकॉर्ड किए गए थे, और आज भी वही मूल रिकॉर्डिंग मंचन के दौरान उपयोग में लाई जाती है। 1985 में पहली बार इस नाटक का मंचन पुणे में हुआ था। तब से अब तक यह महाराष्ट्र के सभी जिलों सहित देश के 10 राज्यों (उत्तर प्रदेश सहित) में मंचित हो चुका है।
नाटक की लोकप्रियता का प्रमाण यह है कि इसका मंचन 1997 में अमेरिका के बोस्टन शहर में और 2015 में लंदन में भी किया जा चुका है।
डॉ. अजीत राव आप्टे ने शिवाजी महाराज के प्रबंधन पर पीएचडी की है और मंच पर उन्होंने शाहजी राजे, आदिल शाह वजीर, तथा वर्तमान में कवि भूषण और औरंगज़ेब की भूमिका निभा रहे हैं।
उनका कहना है कि जब मैं कवि भूषण के पात्र में उतरता हूँ, तो दर्शक मेरे साथ उस युग में जीने लगते हैं,
और जब औरंगज़ेब बनता हूँ, तो लोग मेरे किरदार को देखकर इतिहास की कठोरता को महसूस करते हैं।

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