वीरता की कथा, स्वराज का स्वप्न, ‘जाणता राजा’ बना युगों को जोड़ने वाला मंच
छत्रपति शिवाजी महाराज की गाथा ने भक्ति, नीति और पराक्रम का अद्भुत समन्वय रचा
आगरा। कलाकृति कन्वेंशन सेंटर में दिव्य प्रेम सेवा मिशन द्वारा प्रस्तुत ‘जाणता राजा’ महा नाट्य ने भारतीय इतिहास की उस गौरवगाथा को पुनर्जीवित किया जिसमें धर्म, नीति और राष्ट्रभक्ति का संगम झलकता है। मंच पर छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन की झांकी ने स्वराज और आत्मगौरव की भावना को प्रभावशाली रूप में साकार किया।
बुधवार को पांचवें दिन की नाट्य प्रस्तुति में औरंगजेब के साम्राज्यिक वैभव के समक्ष शिवाजी महाराज की नीतिपूर्ण वीरता का प्रदर्शन दर्शकों के लिए भावनात्मक और प्रेरणादायक अनुभव रहा। शक्ति और साहस से परिपूर्ण उस दृश्य में, जब औरंगजेब प्रतिशोध से भरा होने पर भी शिवाजी महाराज के शौर्य के आगे नतमस्तक होता है, सभागार में तालियों की गूंज और श्रद्धा का मौन एक साथ उपस्थित रहा।
अभिनय, संवाद और साज-सज्जा का समन्वय
कलाकारों के सशक्त संवाद, गंभीर अभिव्यक्ति और जीवंत प्रस्तुति ने हर दृश्य को इतिहास की सांसों से जोड़ दिया। युद्धभूमि, दरबार, और शिवकालीन समाज के दृश्य बारीकी से संयोजित किए गए। प्रकाश, ध्वनि और वस्त्राभूषण का उत्कृष्ट संयोजन दर्शकों को 17वीं शताब्दी की मराठा भूमि में ले गया।
दर्शकों की भावनात्मक सहभागिता
खचाखक भरे परिसर में दर्शकों की उपस्थिति और उत्साह ने यह सिद्ध किया कि ‘जाणता राजा’ केवल एक मंचीय प्रस्तुति नहीं, बल्कि राष्ट्रगौरव की अनुभूति है। हर प्रसंग पर उमड़ता उत्साह और जयघोष यह दर्शाते रहे कि इतिहास जब मंच पर जीवंत होता है, तो वह पीढ़ियों को जोड़ता है।
सांस्कृतिक चेतना का पुनर्जागरण
‘जाणता राजा’ महा नाट्य ने यह संदेश दिया कि शिवाजी महाराज का जीवन केवल युद्धों की कथा नहीं, बल्कि धर्म, नीति और स्वराज की आदर्श परंपरा है। यह प्रस्तुति भारतीय संस्कृति की उस अटूट ज्योति का प्रतीक है जो युगों से प्रज्वलित है और आगे भी मार्गदर्शन करती रहेगी।


