.प्रणवीर चौहान की पांचवी पुण्य तिथि पर उनका स्मृति समारोह संजय प्लेस के यूथ हॉस्टल में आयोजित किया गया TV92News

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आगरा के समग्र इतिहास को रेखांकित किया था डा. प्रणवीर चौहान ‌जी ने ।
उनका स्मरण करते हुए स्मृति ग्रंथ का किया‌ गया विमोचन।
प्रणवीर के साहित्य को सुरक्षित करेंगेः प्रो.सुगम
लीडर्स आगरा प्रति वर्ष उनकी स्मृति में करेगा सम्मान
आगराः साहित्यकार, कवि और पत्रकार डा.प्रणवीर चौहान ने अपने साहित्य से आगरा के गौरव में वृद्धि की। इस शहर के गौरव को जन-जन तक पहुंचाने के लिए जिस साहित्य का सृजन किया, उसे युगों-युगों तक याद किया जाएगा।
डा.प्रणवीर चौहान की पांचवी पुण्य तिथि पर उनका स्मृति समारोह संजय प्लेस के यूथ हॉस्टल में आयोजित किया गया। इस अवसर पर आदर्श नंदन गुप्ता व तनु गुप्ता द्वारा संपादित उनके स्मृति- ग्रंथ का विमोचन विख्यात कवि सोम ठाकुर व अन्य साहित्यकारों ने किया। अध्यक्षता करते हुए सोम जी ने कहा कि डा.प्रणवीर जी ने जिस साहित्य का सृजन किया, वह नई पीढ़ी के लिए सदैव स्मरणीय रहेगा।
मुख्य अतिथि इतिहासकार प्रो.सुगम आनंद ने कहा कि वे प्रयास करेंगे कि विवि में डा.प्रणवीर के साहित्य को सुरक्षित किया जाए उनकी अलमारियों पर डा.प्रणवीर का नाम अंकित रहेगा।
संस्कृत मनीषी राजबहादुर राज ने कहा कि डा.प्रणवीर ने उदयन शर्मा ट्रस्ट द्वारा प्रकाशित करीब 32 पुस्तकमालाओं का संपादन करके आगरा की लोक, संस्कृति और परंपराओं को जन-जन तक पहुंचाया।
लीडर्स आगरा के महामंत्री सुनील जैन ने घोषणा की कि डा.प्रणवीर चौहान के नाम पर प्रति वर्ष एक विभूति को लीडर्स सम्मान प्रदान किया जाएगा।
डा.कुसुम चतुर्वेदी ने कहा कि प्रणवीर जी ने स्वयं तो साहित्य सृजन किया ही, नई पीढ़ी को साहित्य से जोड़ने का प्रयास किया। उन्हें पुस्तकमाला की श्रंखला में पुस्तक लिखने को प्रेरित किया।
वरिष्ठ रंगकर्मी अनिल शुक्ला ने कहा कि डा.प्रणवीर ने अपने पिता स्वाधीनता सेनानी ठाकुर उल्फत सिंह चौहान की विरासत को और अधिक समृद्ध किया। जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता।
डा.प्रणवीर चौहान जी की पुत्री डा.सुनीता चौहान ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि पापा जी की स्मृतियों को संजोये रखने का यह परिवार प्रयास कर रहा है, ताकि समाज को एक दिशा मिलती रहे।
स्मृति ग्रंथ के संपादक आदर्श नंदन गुप्त ने बताया कि 110 पृष्ठ के इस ग्रंथ में 75 से अधिक लेखकों के विचार प्रकाशित किए गये हैं। इसके बावजूद बहुत सारे लेखकों की भावनाएं अभी भी प्रकाशन की प्रतीक्षा में हैं, जिन्हें आगामी वर्षों में प्रकाशित करने की योजना है। इस ग्रंथ का मुद्रण राष्ट्रभाषा प्रेस ने किया है।
अतिथियों का स्वागत गीता सोलंकी, लखेन्द्र सिंह सोलंकी, डॉ रीता कश्यप, कुमुद कांत कश्यप, चित्राली, सार्थक सिंह, निष्ठा, सीमांत सिंह आदि ने किया। प्रारंभ में सरस्वती वंदना वरिष्ठ कवि सुशील सरित ने प्रस्तुत की। डा.अरविंद मिश्रा, महेश शर्मा, डा.शशि तिवारी, डा .विनोद माहेश्वरी, डा.सुषमा सिंह, डा.महेश धाकड़, अजय शर्मा, शरद गुप्ता,डा.रीता शर्मा शलभ भारती, अशोक अश्रु, अतुल चौहान, रमेश पंडित, ज्योत्सना रघुवंशी, शैलबाला अग्रवाल, डा.आभा चतुर्वेदी आदि ने विचार व्यक्त किए। संचालन श्रुति सिन्हा का रहा।

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