सुग्रीव संग हनुमान मंगल गाएँ। राम पद पंकज पर श्रद्धा ध्याएँ॥”
बाबा श्रीमनकामेश्वर रामलीला महोत्सव के नौवे दिन मंचित हुई सीता हरण, सबरीमाता प्रतिष्ठा और मित्रता लीलाएँ
आगरा। गढ़ी ईश्वरा, दिगनेर, शमशाबाद रोड में चल रहे बाबा श्रीमनकामेश्वर रामलीला महोत्सव के नौवें दिन मंगलवार को बरसते मेघ के मध्य मंचित लीलाओं ने दर्शकों को पूरी तरह भक्ति रस से भिगो दिया। मंचन का प्रारंभ सीता हरण प्रसंग से हुआ। रावण द्वारा माता सीता का हरण किए जाने का दृश्य अत्यंत जीवंत और मार्मिक रूप में प्रस्तुत किया गया। दर्शक माता सीता के दुःख और श्रीराम के चिंता-भाव से भावविभोर हो उठे।
इसके पश्चात सबरीमाता की प्रतीक्षा का मंचन हुआ। माता सबरी ने श्रीराम की भक्ति और सेवा भाव का आदर्श प्रस्तुत किया। मंच पर उनके सरल, विनम्र और पूर्ण भक्ति भाव ने सभी श्रद्धालुओं का हृदय स्पर्श किया।
“सबरि सेवा समर्पित, राम चरण ध्यायिन।
भक्ति भाव निरंतर बनी, हृदय हरषायिन॥”
इसके बाद भगवान श्रीराम की हनुमान जी से भेंट और सुग्रीव से मित्रता लीलाएँ शामिल थीं। जब भगवान श्रीराम ने हनुमान जी से भेंट की और उनके पराक्रम, भक्ति और निष्ठा को स्वीकार किया, तो दर्शकों में गहन श्रद्धा का संचार हुआ। इसके बाद सुग्रीव से मित्रता स्थापित होने का प्रसंग मंचित हुआ, जिसने मित्रता, विश्वास और धर्म के महत्व को दर्शाया।
“सुग्रीव संग भयो मिलन, राम कृपा से प्रमोद।
धर्म, भक्ति, मित्रता की सीख, गूंजे हृदय में सदोद॥”
इस अवसर पर श्री महंत योगेश पुरी ने कहा कि “सीता हरण, सबरीमाता प्रतिष्ठा और मित्रता लीलाएँ हमें भक्ति, सेवा और विश्वास का मार्ग दिखाती हैं। हनुमान जी और सुग्रीव की भक्ति और राम के प्रति निष्ठा जीवन के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।
मठ प्रशासक हरिहर पुरी ने कहा कि रामलीला के प्रत्येक प्रसंग में जीवन मूल्यों और धर्म के पालन का संदेश निहित है। नौवे दिन की लीलाएँ हमें यह स्मरण कराती हैं कि भक्ति और मित्रता का बल कठिन समय में भी धर्म की रक्षा करता है। बुधवार को लंका दहन और सीता उद्धार जैसे महत्त्वपूर्ण प्रसंग मंचित होंगे, जिनकी प्रतीक्षा श्रद्धालुओं को है। इस अवसर पर
प्रकाश चंद शर्मा, डा.डीएस शुक्ला, सुधीर यादव, राजकुमारी अग्रवाल, केन कुमार (कनाडा), दीप्ति गर्ग, अनूप यादव आदि उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन : बाबा श्री मनकामेश्वर रामलीला महोत्सव में लीला का मंचन करते स्वरूप।


