Agra: जाड़ता राजा महानाट्य’ के तीसरे दिन शिवत्व, सेवा और समर्पण का संगम Tv92News

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‘शिवाजी की दृढ़ता से पराधीनता अस्वीकार करें, सेवा ही सच्ची तपस्या’: राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल

बारिश में भी गूंजे जय भवानी के नारे, ‘जाड़ता राजा महानाट्य’ के तीसरे दिन शिवत्व, सेवा और समर्पण का संगम

मुख्य अतिथि रहे हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल प्रो. शिवप्रताप शुक्ल
दिव्य प्रेम सेवा मिशन की संरक्षिका साधना श्री जी माहेश्वरी व संस्थापक अध्यक्ष डॉ आशीष गौतम ने साधना और दृढ़ता का दिया संदेश

आगरा। शरद पूर्णिमा की बरसात के बीच भी दिव्य प्रेम सेवा मिशन के ‘जाड़ता राजा महानाट्य’ का तीसरा दिन भक्तिभाव और राष्ट्रभक्ति के उत्साह से सराबोर रहा।
कलाकृति कन्वेंशन सेंटर परिसर में मंचीय कार्यक्रम वर्षा के कारण स्थगित हुआ, परंतु उत्साह और जयकारों से पूरा परिसर गूंज उठा — “जय भवानी, जय शिवाजी”, “हर हर महादेव” और “राधे-राधे” के उद्घोष ने वातावरण को आध्यात्मिक बना दिया।
मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल प्रो. शिवप्रताप शुक्ल ने अपने प्रेरक संबोधन में कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज की दृढ़ता आज भी भारतीय आत्मा की प्रेरणा है। उन्होंने कहा कि
पराधीनता सपने में भी सुख नहीं देती, शिवाजी ने इसे अस्वीकार किया। सेवा ही सच्ची तपस्या है।
उन्होंने अपने स्वयंसेवक जीवन के अनुभव साझा करते हुए दिव्य प्रेम सेवा मिशन के संस्थापक डॉ आशीष गौतम की त्यागपूर्ण यात्रा को श्रद्धापूर्वक नमन किया। उन्होंने कहा, “पीएम नरेंद्र मोदी ने संसद में कहा था—‘सेवा देखनी हो तो आशीष गौतम से मिलें।’ पत्ते पर भोजन से शुरू होकर यह मिशन आज सेवा की पराकाष्ठा पर पहुंचा है।”
शुक्ल ने अनुच्छेद 370 हटाने की दृढ़ता का उदाहरण देते हुए युवाओं से आग्रह किया कि वे “जड़ता छोड़ें और हिंदुत्व को जीवन में उतारें”।
दिव्य प्रेम सेवा मिशन की राष्ट्रीय संरक्षिका साधना श्री जी माहेश्वरी ने वर्षा के बीच भी उपस्थित दर्शकों को संबोधित करते हुए कहा कि यह दैहिक, दैविक या भौतिक ताप नहीं, यह भगवती की विशेष इच्छा है। शरद पूर्णिमा की यह बरसात ब्रजवासियों के लिए शुभ है।
उन्होंने आशीष गौतम और संजय भैया के चेहरे पर ‘चिंता की अनुपस्थिति’ को आध्यात्मिक कृपा का प्रतीक बताया। साधना श्री जी ने मिशन की 29 वर्षीय यात्रा को स्वामी विवेकानंद के आदर्शों से जोड़ते हुए कहा कि “रामकथा और श्रीमद्भागवत कथा का दान विश्व स्तर पर हो रहा है — यहां विवेकानंद जी कृष्ण स्वरूप में और संजय भैया अर्जुन रूप में प्रकट हुए।”
संस्थापक अध्यक्ष डॉ आशीष गौतम ने कहा कि
हिमाचल भगवान शिव की ससुराल है, इसलिए राज्यपाल जी बरसात लेकर आए—यह शुभ संकेत है।
उन्होंने मिशन की 29 वर्ष की साधना यात्रा को स्वामी विवेकानंद की राष्ट्रीय चेतना और महावतार बाबा, परमहंस योगानंद, लाहिड़ी महाशय, स्वामी श्री युक्तेश्वर गिरी जैसी गुरु परंपराओं से जोड़ा।
एक भावुक प्रसंग सुनाते हुए उन्होंने बताया कि “ऋषिकेश में एक भिक्षुक मां के निधन के बाद उसके बच्चे को मिशन ने अपनाया, और आज वह डॉ. आर.पी.एन. सिंह के सहयोग से एमडी कर रहा है।”
उन्होंने कहा, “जीवों पर दया का दावा न करें, कर्तव्य भाव से सेवा करें—दया तो भगवान शिव की है।”

प्रेम शुक्ला — ‘आगरा में शिवाजी की कैद ने हिंदू स्वराज की नींव रखी’
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम शुक्ला ने शिवाजी महाराज के आगरा प्रवास को इतिहास की निर्णायक घटना बताते हुए कहा कि अगर औरंगजेब ने आगरा में शिवाजी को कैद न किया होता, तो मुगलों की सत्ता धराशायी न होती। यह आयोजन औरंगजेब की कब्र पर आखिरी कील है। उन्होंने कहा कि शरद पूर्णिमा की यह वर्षा अमृत वर्षा है, आसमान से अमृत बरसा और आगरा ने पी लिया।

आवश्यक सूचना
जाणता राजा महानाट्य का 6 अक्टूबर का शो भारी बारिश चलते स्थगित होने के कारण जिनके पास 6 अक्टूबर की प्रवेशिका है वे 7, 8 व 9 अक्तूबर में किसी भी दिन महानाट्य देखने आ सकते हैं।

ये रहे उपस्थित
पूर्व कुलपति सुरेन्द्र दुबे जी, वरिष्ठ भाजपा नेता दीपक ऋषि, दिव्य प्रेम सेवा मिशन के कार्यकारी अध्यक्ष संजय चतुर्वेदी, राघवेंद्र सिंह, मिशन के राष्ट्रीय महामंत्री नितिन अग्रवाल, अपर्णा दुबे, निधि शर्मा, पंकज पाठक, रामय जी, नंदलाल जी, आयोजन समिति के संयोजक ललित शर्मा, महामंत्री अभिनव मौर्य, जयवीर सिंह जी, गोविंद दुबे, नागेंद्र प्रसाद दुबे गामा, दीप विनायक पटेल, ध्रुव गुप्ता, रजत शर्मा, अवधेश शर्मा भट्ठे वाले, सुमित दिवाकर, कान्हा राठौर, विनायक मुद्गल, आशीष पाराशर, कार्तिक प्रधान, आकाश आदि उपस्थित रहे।

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