स्वास्थ्य विभाग की सफलता, जनवरी से अक्टूबर तक 24054 टीबी रोगियों की पहचान कर शुरू किया इलाज -Tv92news

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“आगरा में एसीएफ अभियान का असर, 381 नये रोगियों का इलाज शुरू”
– एसीएफ अभियान में मिले 381 नये टीबी रोगी, निक्षय पोषण योजना के तहत प्रदान की जाएगी पोषण संबंधी सहायता
– जनपद में 9 से 20 सितंबर तक चलाया गया था एसीएफ अभियान
– स्वास्थ्य विभाग की सफलता, जनवरी से अक्टूबर तक 24054 टीबी रोगियों की पहचान कर शुरू किया इलाज
आगरा, 22 अक्टूबर 2024
जनपद में राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के तहत 9 से 20 सितंबर तक चलाए गए सक्रिय क्षय रोगी खोजी (एसीएफ) अभियान के जरिये 381 नये टीबी रोगियों की खोज हुई हैं। सभी नये टीबी रोगियों का इलाज शुरू किया जा चुका है। रोगियों को सरकार की तरफ से मिलने वाली अन्य सेवाएं भी दी जाएंगी। यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने दी। उन्होंने बताया कि आगरा में अब तक 13 (तेरह) एसीएफ अभियान चलाए जा चुके हैं। इस वर्ष जनवरी से अक्टूबर तक 24054 नये टीबी रोगियों की पहचान की गई साथ ही सभी टीबी रोगियों को इलाज और पोषण संबंधी सहायता भी प्रदान की जा रही है।

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. सुखेश गुप्ता ने बताया कि देश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त बनाने के लिए विभाग लगातार प्रयास कर रहा हैं। इसके लिए इस बार चले अभियान में करीब 10.79 लाख की आबादी की स्क्रीनिंग की गई। इस आबादी में से टीबी के लक्षण वाले 8544 संभावित टीबी मरीजों के बलगम जांच के लिए भेजे गये। बलगम जांच और एक्स रे के जरिये 381 नये टीबी मरीज खोजे गये। सभी पॉजीटिव पाए गये नये टीबी मरीजों का इलाज शुरू किया जा चुका है साथ ही सरकार द्वारा मिलने वाली सेवाओं से भी जोड़ा गया है। इस अभियान के दौरान कुल 408 टीम ने नये टीबी मरीजों को खोजने में मदद की।
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उन्होंने बताया कि इन सभी मरीजों को दवाएं सरकारी अस्पताल से दी जा रही हैं। निक्षय पोषण योजना के तहत 500 रुपये प्रति माह की दर से पोषण सहायता राशि मिलेगी । यह रकम नवंबर में बढ़ कर एक हजार रुपये प्रति माह होने जा रही है। इन मरीजों के निकट सम्पर्कियों की भी टीबी जांच होगी। जो निकट सम्पर्की टीबी के मरीज नहीं निकलेंगे, उन्हें भी छह माह तक टीबी से बचाव की दवा खिलाई जाएगी। इनमें से जरूरतमंत टीबी मरीजों को निक्षय मित्रों की मदद से गोद भी दिलवाया जाएगा ताकि इलाज के दौरान उन्हें पर्याप्त पोषण और समय समय पर मानसिक संबल मिल सके। खोजे गये प्रत्येक नये टीबी मरीज की सीबीनॉट जांच, एचआईवी और मधुमेह की भी जांच कराई गई है ताकि सही दिशा में इलाज चल सके। लक्षण होने पर जल्द से जल्द आशा कार्यकर्ता को बताएं ताकि शीघ्र जांच और उपचार से टीबी उन्मूलन में और इसका प्रसार रोकने में मदद मिलेगी।
भय व भ्रांति को दूर कर कराएं अपनी जांच
फतेहपुर सीकरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की वरिष्ठ उपचार पर्यवेक्षक सीमा ने बताया कि एसीएफ के दौरान टीम नंबर 244 से टीम मेंबर आशा कार्यकर्ता कमलेश द्वारा जानकारी दी गई थी कि उनके क्षेत्र अंडोरा में 75 वर्षीय एक बुजुर्ग महिला अकेली रहती हैं जिन्हें काफी खांसी है और बुजुर्ग महिला टीम से छिप रही हैं। ऐसे में पर्यवेक्षक सीमा उस क्षेत्र में गईं और उन्होंने बुजुर्ग महिला को टीबी की जांच व उपचार के संबंध में समझाया। बुजुर्ग महिला ने बताया कि मुझे खांसी है लेकिन यदि जांच में यह टीबी निकली तो मुझसे लोग भेदभाव करेंगे। इस पर सीमा ने उन्हें और उनके पड़ोसियों को टीबीप्रसार के बारे में समझाया। बुजुर्ग महिला की टीबी की जांच कराई, बाद में टीबी की पुष्टि होने पर बुजुर्ग महिला का उपचार भी शुरू कर दिया गया है और निक्षय पोषण पोर्टल पर भी उनका रजिस्ट्रेशन कर दिया गया है।

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सीमा ने बताया कि कई बार भय व भ्रांति के कारण मरीज टीबी के लक्षण होने के बावजूद भी अपनी जांच कराने से डरते हैं, जबकि यदि मरीज को सही समय पर उपचार मिल जाए तो मरीज स्वस्थ हो जाता है। अब बुजुर्ग महिला सफलतम तरीके से अपना उपचार करा रही है। सीमा ने बताया कि जो भी नये टीबी मरीज खोजे जाते हैं उनका कार्ड बनता है और उन्हें निक्षय मित्र पोर्टल पर पंजीकृत किया जाता है। एसीएफ अभियान में जो नये मरीज खोजे गये हैं उनसे बैंक पासबुक और आधार का विवरण मांगा गया है ताकि उन्हें निक्षय पोषण योजना की सहायता राशि का लाभ दिया जा सके।
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टीबी रोगियों को मिलने वाली सेवाएं:
• जांच और इलाज
• दवाएं
• पोषण संबंधी सहायता
• परामर्श
क्षय रोग के लक्षण:
• दो सप्ताह से अधिक खाँसी
• दो सप्ताह से अधिक बुखार
• बलगम में खून आना
• भूख में कमी
• वजन का कम होना
• रात में पसीना आना
• गले में गांठ (लिम्फनोड)
• महिलाओं में बांझपन की समस्या

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